Friday, 6 May 2016

स्पंदन



मेरी दौलत का हिसाब लगाना मुश्किल नहीं,
नाम लिख दूंगी बस तुम्हारा तो मिल जायेगा.
मेरी आँखों में चमक क्यों है, जानना हो जिसे
जान ले तुमको दो घड़ी वो समझ जायेगा.

चाँद है हमसे खफा,
देखते अब नहीं हम उसको ख्वाबों में,
फूल भी ज़िद पर है,
ढूंढते अब नहीं हम खुशबुएं गुलाबों में,

पर हमें डर नहीं चाँद का या चाँदनी का,
मेरे घर में तो तेरे साथ निकल आएगा.


कुछ कदम तुम चले, कुछ कदम हम चले,
हुआ है दो दिलों का तब ये फासला पूरा,
कुछ तिनके तुम्हारे, कुछ तिनके हमारे,
हुआ है सपनों का तब ये घोसला पूरा.

युँ तो बनता है ज़माना हमदर्द मेरा,
देख लेगा जो मेरी दुनिया तो जल जायेगा.